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“मै अपने शरीर के कण को नष्ट हो जाने दूंगा लेकिन टिहरी के नागरिकों के अधिकारों को कुचलने नही दूँगा “

“मै अपने शरीर के कण को नष्ट हो जाने दूंगा लेकिन टिहरी के नागरिकों के अधिकारों को कुचलने नही दूँगा “


श्रीदेव सुमन उत्तराखंड की धरती में जन्मा एक ऐसे महान अमर बलिदानी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सपूत का नाम है, जो एक लेखक, पत्रकार और जननायक ही नहीं बल्कि टिहरी की ऐतिहासिक क्रांति के भी महानायक थे। मशहूर हिंदी फिल्म आनन्द मे राजेश खन्ना के डायलॉग ‘जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए” बाबू मुशाय अगर किसी व्यक्ति की जिन्दगी पर फिट बैठता है, तो वो हैं मात्र 29 वर्ष की अल्पायु में ही अपने देश के लिए शहीद होने वाले अमर शहीद श्रीदेव सुमन। जहां एक ओर पूरे देश मे अंग्रेजी हुकूमत ने हिंदुस्तान की जनता को अपनी दमनकारी नीति में जकड़ रखा था वहीं दूसरी और रियासतों के नवाबों तथा राजाओ ने भी जनता पर दमन व शोषण का कहर ढा रखा था। ऐसे समय मैं बालक श्रीदत्त ( श्री देव सुमन) ने टिहरी रियासत के खिलाफ अपने नागरिक अधिकारों के लिए रियासत के विरुद्ध व्यापक आंदोलन की आवाज को बुलन्द किया और कहा ” मै अपने शरीर के कण को नष्ट हो जाने दूंगा लेकिन टिहरी के नागरिकों के अधिकारों को कुचलने नही दूँगा ” आम तौर पर क्रांति के बहुत से पहलू है लेकिन श्री देव सुमन द्वारा शुरू की गई अधिकारों की क्रांति इतिहास के पन्नो में आज भी दर्ज है। 14 साल की कम उम्र में वह सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े थे। आज याद करे और नमन करें पहाड़ के वीर सपूत को जिन्होंने दृढ़ निश्चय व इच्छाशक्ति से टिहरी रियासत को राजशाही से मुक्त कर 1948 में भारतीय गणराज्य में विलय हो गया। श्रीदेव सुमन युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है, जिन्होंने 206 दिन की कठोर कारावास औऱ 84 दिन की बूख हड़ताल भी उनके होंशलों, व उद्देश्यों को नही तोड़ पायी । शत – शत नमम है ऐसे वीर सपूतों को।

अमित चौहान

आकृष्ट फाउंडेशन

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